जब जब तन्हाइयों में तेरा साथ होता है ,
सच में बड़ा सुकून पहुचाती हो तुम !
कांपते हाथों को तेरा सहारा मिल जाता है ,
लग के होटों से सारी दूरियां मिटाती हो तुम ,
सच में बड़ा सुकून पहुचाती हो तुम !!
वो कांच के टुकड़ों की चुभन ,
और प्यार से गर्दन को सहलाना ,
धीरे धीरे मेरी सासों में समां जाना ,
ले लेना मुझे अपने आगोश में ,
अपने होने का मुझे अहसास कराना ,
हर वक्त याद आती हो तुम ,
सच में बड़ा सुकून पहुचाती हो तुम !!
कभी बन के धुवां आसमान में छाजाती हो तुम ,
ना जाने कितने हासीन चहरे बनाती हो तुम ,
मुझे ले करके किसी हसी दुनिया में ,
हर खुशियों का एहसास कराती हो तुम ,
आखरी दम तक देती हो साथ मेरा ,
मेरी खुशियों के वास्ते जल जाती हो तुम ,
सच में बड़ा सुकून पहुचाती हो तुम !!
{ वैधानिक चेतावनी - सिगरेट पीना स्वास्थ के लिए हानि कारक है }
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4 टिप्पणियाँ:
वाह अनवर कुरेशी जी बहुत अच्छी कविता लिखी आपने
ले लेना मुझे अपने आगोश में ,
अपने होने का मुझे अहसास कराना
क्या कहना
और जो अंत में आपने सिगरेट के गुण बताए वो भी अच्छा लगा बधाई हो
खूब लिखा भई!
बहुत अच्छी कविता. बधाई,
अनवर जी बहुत ही खुब सुरत कविता कही हे आप ने, धन्यवाद
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