Wednesday, July 23, 2008

बड़ी ख़ामोश सी है ये शाम !!!


बड़ी खामोश सी है ये शाम,
और तन्हाई का आलम है ,
दखने से लगता है के सब चुप है ,
लेकिन दिल में लाखो सवाल है , कई आरज़ू सीने में दबा राखी है ,
कोई चेहरा नहीं है बयां करने के लिए,
यूँ तो हर वक्त है काफिला सा ,
फिर इतना तनहा में हर वक्त क्यूँ हूँ ,
बे रंग नहीं थी कभी ज़िन्दगी ,
मेरे खाबो ने मेरा रंग चुराया है ,
हारा नहीं हूँ मैं , ज़िन्दगी तुझसे ,
कुछ हालत ही ऐसे है ,
मैं खुद से खफा हूँ !!!

5 टिप्पणियाँ:

Anonymous said...
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रंजू भाटिया on July 23, 2008 at 6:01 AM said...

kamaal hai kuch der same kuch easa hi main bhi soch rahi thi :) par usko pura nahi kiya thaa abhi bahut accha laga yahn pura dekhkar bahut khub




;

vipinkizindagi on July 23, 2008 at 7:14 AM said...

achcha likha hai anwar ji
mera blog bhi dekhe

Udan Tashtari on July 23, 2008 at 10:52 AM said...

बेहद खूबसूरत...बहुत उम्दा...वाह!

 

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