Saturday, August 23, 2008

लूट सको तो लूट लो ...




फोकट का सामन है भैय्या ,


लूट सको तो लूट लो !


खुली हुई दूकान है भैय्या ,


लूट सको तो लूट लो !!


ना इसमें कोई मिर्च है , ना है कोई मसाला ,


ना अखछर की पहचान है इसमें !


ना शब्दों की वर्ण माला ,


बिखरा हुआ सामन है भैय्या ,


लूट सको तो लूट लो !!


गुमसुम गुमसुम चुप बैठा है ,


कोई नहीं है सुनने वाला !


कूड़ा करकट दान है भैय्या ,


लूट सको तो लूट लो !!


सोने की चिड़िया के तुमने ,


पर क़तर डालें है ,


भारत का तुम भोग हो करते ,


और नेता कहलाते हो ,


काब तक लूटोगे देश को ,


मेरा कहा अब मान लो ,


पूरा पाकिस्तान पड़ा है ,


लूट सको तो लूट लो ......

6 टिप्पणियाँ:

राज भाटिय़ा on August 23, 2008 at 2:58 PM said...

बहुत ही सुन्दर कविता लिखी हे आप ने,
धन्यवाद

Smart Indian on August 23, 2008 at 9:19 PM said...

बहुत खूब अनवर भइया!

समीर यादव on August 23, 2008 at 10:48 PM said...

पहले तो धन्यवाद अनवर भाई...सुकवि बुधराम यादव और मेरी और से.
आपकी रचना....सामयिक और उद्वेलित करने वाली है..
अनवरत रहें..

मीत on August 24, 2008 at 11:29 PM said...

सोने की चिड़िया के तुमने ,
पर क़तर डालें है ,
भारत का तुम भोग हो करते ,
और नेता कहलाते हो ,

bahut chse se pesh kiya hai.....
umda

seema gupta on August 25, 2008 at 5:01 AM said...

" great to read"

Regards

Satish Saxena on August 25, 2008 at 9:25 PM said...

गुमसुम गुमसुम चुप बैठा है ,
कोई नहीं है सुनने वाला !
कूड़ा करकट दान है भैय्या ,
लूट सको तो लूट लो !!

बहुत खूब लिखते हो अनवर मियां ! लिखते रहो खूब जमोगे !

 

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