आसमां सी आरज़ू है ,
ख़ाब से हालात हैं !
जीने की है तमन्ना ,
थमी थमी सी सासं है !!
फिरता हूँ मैं दर बदर ,
मिलता नहीं है आसरा !
इस ज़मी पर आशियाने ,
की मुझे तलाश है !!
सारा शहर है बेरहम ,
कोई नहीं मेरा अपना !
काफ़िले में नज़रों को मेरी ,
मेरे अपनों की तलाश है !!
रात भर जागी है शायद ,
सुर्ख़ आखें कह रही है !
अश्क़ से भीगी हुई है ,
फ़िर भी इनमें आस है ,
रोज़ की तरहा इनमें ,
नई सुबह की तलाश है !!!
19 टिप्पणियाँ:
दुनिया की इस भीड मे हम सभी तन्हा हे.
धन्यवाद सुन्दर कविता के लिये
बहुत सुन्दर कविता है।बहुत बढिया कहा है-
रात भर जागी है शायद ,
सुर्ख़ आखें कह रही है !
अश्क़ से भीगी हुई है ,
फ़िर भी इनमें आस है ,
रोज़ की तरहा इनमें ,
नई सुबह की तलाश है !!!
वाह वाह बहुत खूब , निहायित बेहतरीन नज़्म है , दिल को छु लेने वाली
न समझि्ए तनहा
सदा हमारा साथ है।
५ दिन की लास वेगस और ग्रेन्ड केनियन की यात्रा के बाद आज ब्लॉगजगत में लौटा हूँ. मन प्रफुल्लित है और आपको पढ़ना सुखद. कल से नियमिल लेखन पठन का प्रयास करुँगा. सादर अभिवादन.
रात भर जागी है शायद ,
सुर्ख़ आखें कह रही है !
अश्क़ से भीगी हुई है ,
फ़िर भी इनमें आस है ,
bahut khoob.
वाकई बढ़िया कवितासुंदर भाव लिये..
बधाई..
anwar miya hum sach me tumhare sath the, hain, aur rahenge
bahut khoob......
क़ुरेशी भाई मज़ा आ गया, क्या लिखा है!
बहुत सुंदर लिखा है ..सादर अभिवादन
ask se 'dhudhla sa ask' tak ka safar to tay kiya . badhiya hai. ab age kya ? kya ab bhi apni baat par jame huye ho ?
रात भर जागी है शायद ,
सुर्ख़ आखें कह रही है !
अश्क़ से भीगी हुई है ,
फ़िर भी इनमें आस है ,
रोज़ की तरहा इनमें ,
नई सुबह की तलाश है !!!
क्या बात है !!!!!!! बहुत ही अची नज़्म है !!!!!!!
रात भर जागी है शायद ,
सुर्ख़ आखें कह रही है !
अश्क़ से भीगी हुई है ,
फ़िर भी इनमें आस है।
जीवन के कटु सत्य के बीच से भी आशा की एक किरण जगाती यह कविता।
रमजान की मुबारकवाद आप को ओर आप के सभी जानपहचान वालो को ओर आप के परिवार को
क्या बात है!
पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर।
शुभकामनाएं।
आसमां सी आरज़ू है ,
ख़ाब से हालात हैं !
जीने की है तमन्ना ,
थमी थमी सी सासं है !!
vah kya baat hai. bhut badhiya. jari rhe.
सुर्ख़ आखें कह रही है !
अश्क़ से भीगी हुई है ,
फ़िर भी इनमें आस है ,
रोज़ की तरहा इनमें ,
नई सुबह की तलाश है !!!
talash mujhe v hai jab puri hogi to bataungi
:) anawar ji achaa likha hai aapne bhi, aapne jo likha hao mere blog me comment us par main yahi kahunga ki main nirash nahi hoon but it is the talk with myself to understand me better,
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