Thursday, September 25, 2008

ये मेरी ज़िन्दगी ...


ये मेरी ज़िन्दगी बिस्तर की सिलबटों की तरह है ,
हर रोज़ ये जीती है हर रोज़ ये मरती है !


कुछ ख़ाब से बनते है , बन के टूट जातें है ,
फ़िर भी ना जाने ये किस आस में जीती है !!



कुछ दर्द है हासिल , कुछ तन्हाई का आलम है ,
हर आहट में ये लेकिन ,किसी का इंतेज़ार करती है !!



शोरगुल नहीं है इसमें , बड़ी चुपचाप सी है ,
खामोशी ही मगर इसकी , परेशान सी करती है !!



जीने जी तमन्ना भी है , और मुस्कुराने की चाहत ,
रूठा हुआ हूँ ख़ुद से मैं , और रूठे हुए हालत है !!



जाने क्या वजह है , जिये जा रहा हूँ मैं,
हर हाल में तेरे साथ "ज़िन्दगी " मुस्कुरा रहा हूँ मैं ...

18 टिप्पणियाँ:

Anil Pusadkar on September 25, 2008 at 12:59 PM said...

क्यों अनवर मियां,ज़िया भाइ से बात करना पडेगा लगता है,बहुत सिल्वट का ख्याल रख रहे हो

Anil Pusadkar on September 25, 2008 at 1:39 PM said...

नाराज़ क्यों हो रहे हो मियां हम तो मज़ाक कर रहे थे ।

Udan Tashtari on September 25, 2008 at 5:59 PM said...

क्या बात कह गये गये.बहुत उम्दा!!

Ganesh on September 25, 2008 at 6:37 PM said...

Waw Kya baat hai yaar

aap ka bhi koi jawab nahi hai bhai

seema gupta on September 25, 2008 at 10:06 PM said...

"jindgee ke kraeeb jindge se dur, jindgee se narraj, jindge se umeed... bhut sunder expression"

Regards

डॉ .अनुराग on September 25, 2008 at 11:21 PM said...

कुछ उदासी है .....इस में !

Sandeep Singh on September 26, 2008 at 2:26 AM said...

"खामोशी ही मगर इसकी, परेशान सी करती है"...अनवर भाई कोहराम मचने से पहले कुछ ऐसा ही होता है...शुरुआत तो कर ही चुके हैं आप:):)

महेन्द्र मिश्र on September 26, 2008 at 2:28 AM said...

badhiya abhivykti..kam sateekshabdo me achchi rachna badhai.

राज भाटिय़ा on September 26, 2008 at 10:21 AM said...

क्या बात हे बहुत दिनो बात आये ओर संग उदास शेर लाये.
धन्यवाद

Anwar Qureshi on September 26, 2008 at 11:51 AM said...

अनवर भाई आप के ब्लोग पर पढी कुछ लाईने , इतनी खुबसूरत लगी कि पुरानी
यादे ताजा हो गई. आप इतना खुबसूरत लिखते है. कि जवाब नही, काहे आप अपने
ब्लोग को हटाने के लिये सवाल करते है, आपने जो लिख दिया वो अब आपका नही
है और जो आपका नही है उस पर अधिकार मत जताईये बस लिखते जाईये .दिल की
बाते
हम है ना पधने को हजारो आपके चाहने वाले :)
अरुण जी आप का बहुत शुक्रिया ...आप के शब्दों ने मेरा हौसला बढाया है ...मैं अपनी कोशिश जारी रखूँगा ...

वीनस केसरी on September 26, 2008 at 12:30 PM said...

बहुत बेहतरीन लेख है भइ
आश करता हू कि आगे भी इसी तरह की अच्छी पोस्टे पढने को मिलती रहेगी

उम्दा ग़ज़लकार बनना चाहते है तो गजल की क्लास चल रही है आप भी शिरकत कीजिये www.subeerin.blogspot.com

वीनस केसरी

सचिन मिश्रा on September 26, 2008 at 2:35 PM said...

Bahut accha likha hai.

Ankit on September 26, 2008 at 10:37 PM said...

Salam anwar saheb,
first of all your blog's name told lot of thing, then your latest post Ye Zindgi, fantastic.
I got a different view to see Zindagi. Nice to read your blog

Ankit Safar
http://ankitsafar.blogspot.com/

kavitaprayas on October 1, 2008 at 5:03 PM said...

kya baat hai Anwar ji!
likha to achha hai hi, saath main aapki saari photos bhi bahut sundar hoti hain.Perfect combo ! Awesome !

विक्रांत बेशर्मा on October 18, 2008 at 9:50 AM said...

बहुत उम्दा लिखा हिया आपने !!!!!!!!!!

vandana gupta on October 23, 2008 at 7:35 AM said...

kya baat hai....har roj jiti hai har roj marti hai....wakai zindagi aisi hi hai........na jaane ek ek pal mein kitni baar jiti hai aur kitni baar marti hai
bahut kucch kah gaye aap to in 2 line mein hi

Vinay on October 26, 2008 at 5:32 PM said...

दीपावली के पावन पर्व पर आपको हार्दिक बधाई!

shama on November 2, 2008 at 12:24 AM said...

..."Har haal me 'zindagee'muskura raha hun mai"...Kavitaki har ek panktee sundar hai..! Aur kya kahun?

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