ये मेरी ज़िन्दगी बिस्तर की सिलबटों की तरह है ,
हर रोज़ ये जीती है हर रोज़ ये मरती है !
कुछ ख़ाब से बनते है , बन के टूट जातें है ,
फ़िर भी ना जाने ये किस आस में जीती है !!
कुछ दर्द है हासिल , कुछ तन्हाई का आलम है ,
हर आहट में ये लेकिन ,किसी का इंतेज़ार करती है !!
शोरगुल नहीं है इसमें , बड़ी चुपचाप सी है ,
खामोशी ही मगर इसकी , परेशान सी करती है !!
जीने जी तमन्ना भी है , और मुस्कुराने की चाहत ,
रूठा हुआ हूँ ख़ुद से मैं , और रूठे हुए हालत है !!
जाने क्या वजह है , जिये जा रहा हूँ मैं,
हर हाल में तेरे साथ "ज़िन्दगी " मुस्कुरा रहा हूँ मैं ...
Thursday, September 25, 2008
Wednesday, September 3, 2008
आरज़ू ...
आसमां सी आरज़ू है ,
ख़ाब से हालात हैं !
जीने की है तमन्ना ,
थमी थमी सी सासं है !!
फिरता हूँ मैं दर बदर ,
मिलता नहीं है आसरा !
इस ज़मी पर आशियाने ,
की मुझे तलाश है !!
सारा शहर है बेरहम ,
कोई नहीं मेरा अपना !
काफ़िले में नज़रों को मेरी ,
मेरे अपनों की तलाश है !!
रात भर जागी है शायद ,
सुर्ख़ आखें कह रही है !
अश्क़ से भीगी हुई है ,
फ़िर भी इनमें आस है ,
रोज़ की तरहा इनमें ,
नई सुबह की तलाश है !!!
Subscribe to:
Posts (Atom)