कुछ ने मेरे बारे में ये समझ लिया के मैं कुछ नहीं कहता , मेरे बंद होटों को मेरी कमज़ोरी समझने लगे , मैं फ़िर भी चुप रहा , मुझे हर वक्त ये लगता क्या मैं इतना कमज़ोर हूँ ?
किसी की आगे बढ़ने की होड़ ने मुझे पीछे ढकेलने का बखूबी से काम किया , मैं फ़िर भी चुप रहा , मैंने अब सोच लिया है ख़ुद को साबित करने का , मुझे अब ख़ुद को समझना है ,
मुझे अब भी किसी से शिकायत नहीं है , मैं अब भी चुप हूँ लेकिन चुप रहकर सब कहने की अदा सीख ली है !!!
Sunday, May 18, 2008
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1 टिप्पणियाँ:
आपका स्वागत है. महोदय. लिखते रहिये. शुभकामनायें.
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