अभी बस चलना शुरू किया ही था के अचानक नज़र उस जगह पर पड़ी जहाँ कभी दोस्तों की महफिले सजा करती थी , उसी जगह एक दोस्त भी मिला मुसाफिरों की तरह ...मुलाकात बहुत दिनों के बाद थी शायद इसलिए मिलनसारी भी कुछ कम नहीं थी , मैंने उसका हाल चाल जाना और अपना भी बताया ...कुछ हालात मुनासिब नहीं है कुछ परेशां सा हूँ ...उसने सारी बातें सुनकर मुझसे कहा ...फिकर मत कर यार ...एक दिन सब ठीक हो जाएगा ...भगवन सब ठीक कर देगा ...उसके पास ना ही मेरे कोई सवालों का जवाब था और ना ही मेरी किसी परेशानियों का कोई हल ...लेकिन फ़िर भी उसकी बात मुझे सुकून पहुँचा रही थी ...शायद वो जो कह रहा है वैसा ही कुछ हो ?....थोड़ी सी उम्मीद लिए मैं अपनी अगली मंजिल की तरफ़ चल निकला ...
सफर तो लंबा था लेकिन परेशानियाँ भी साथ चल रही थी ...थोड़ी दूर तक चलने के बाद ,मेरी यामाहा ख़राब हो गई , कुछ दूर धक्का देने के बाद मुझे एक बोर्ड दिखा { सतपाल सर्विसिंग सेंटर } लिखा था ... हमारे यहाँ ॥होंडा यामाहा स्कूटर ठीक किया जाता है मैंने उसे परेशानी बताई और बाइक बनवा कर चल दिया ...धुप थोड़ी बढ़ रही थी ...गला भी सूख रहा था ...सड़क पर ही एक गन्ने के रस की दुकान थी { बजरंग गन्ना रस } एक गिलास पीने पर गले को बड़ा ही सुकून मिला ...लेकिन मैं थोड़ा जल्दी में था ...मैं वहां से चला गया ...जिस काम से आया हूँ वो तो अभी तक पुरा हुआ नहीं है ...चलूँ अपनी तलाश जारी रखूं ...
शाम होते होते मैं कुछ नाउमीद सा होने लगा , मैं जिसकी तलाश में निकला हूँ वो तो मुझे कहीं नहीं मिला ...सुबह से शाम होने को है , सवाल फ़िर से थे क्या मैं फिज़ूल महनत कर रहा हूँ कुछ नहीं मिलना जुलना है ...सड़क के पास अपनी बाइक खड़ा कर के बैठा रहा ...सड़क पर सनसनाती भागती गाडियां और हार्न की तेज़ आवाज़ ... थोड़ी देर बाद मैंने अपने दोस्तों से फ़ोन पर बात की और उन्हें अपने पास बुलाया ...शिव तो आ गया लेकिन खोमेंद्र को आने में वक्त लगा ॥उसे ऑफिस में कुछ ज़ियादा काम था ...मैं और शिव आपस में बात करते रहे ॥इसी बीच मैंने अपनी ऑफिस से जुड़े कुछ काम उसे बताये और उसने उसे मुस्कुराते हुए करने की बात कही ...मुझे थोड़ा का सूकु और मिला उनका जवाब सुनकर ...खोमेंद्र भी अपने काम से कुछ परेशान था वो मुझे अपनी परेशानियाँ बता रहा था ...मैंने उसे सब ठीक होने का भरोसा दिया और रात होने का हवाला देकर सब अपने अपने घर आ गए !
रात थोड़ी ज़ियादा होने की वजह से घर की लाइट बंद हो गई थी ॥मुझे लगा सब सो रहे है ...लेकिन ऐसा नहीं था मेरी आहट सुनकर अम्मी और अब्बू जाग गए शायद वो सोये ही नहीं थे ...वो मेरा इंतज़ार कर रहे थे ...मेरे कमरे में आकर अब्बू ने पुछा ...अनवर तू आ गया ..मैं ...हाँ ... तब ही अम्मी की आवाज़ आई ..खाना लिकाल दूँ ... मैं ..हाँ ...खाना खा लेने के बाद बिस्तर पर लेटे हुए सोचता रहा ...आख़िर ख़ुदा है कहाँ ? ....इस ज़मी पर उसके नाम कई है कोई ख़ुदा कहता है तो कोई भगवान् कोई रब ...तो कोई और कुछ कहता है लेकिन वो है कहाँ जिसे मैं दिन भर ढूँढता रहा वो इस ज़मीं पर है भी या नहीं ???....थोड़ी देर सोचने पर मुझे इसका जवाब मिल गया !!!