Tuesday, July 8, 2008

एन.डी.ए + यू.पी.ए का गठबंधन ???


देश में गठबंधन की राजनीति के बदलते समीकरण को देख लगता तो यही है की कुछ देनो में ये खबर आनेवाली है के यू .पी .ए और एन .डी. ए का गटबंधन हो गया है ???
देश की राजनीति में गठबंधन की ये नय्या देश को किधर लेकर जायेगी , या डूबयेगी , इसका अंदाजा लगाना तो कोई मुश्किल कम नहीं है ? मुश्किल इसलिए नहीं है ये तो हमने देखा है एक वोट से सरकार को गिरते ...!!!
अब अचानक से हमारे देश प्रमी नेताओ को देश की याद ४ साल बाद आये या ४० साल बाद उन्हें जब लगता है तो वो देश हित में समर्थन दे देते है ??? खुद बेचारे भले ही कितनी ज़िल्लत उठाए हो ,उसी पार्टी से जिसे अब वो समर्थन करने जा रहे है ??? कभी खदेड़ दिए गए थे ,अब १० जनपद का दस्तरखान उनके लिए ही सजाया जा रहा है ??
चलिए जाने दीजिये राजनीति में हालत बदलते रहते है , जाने दीजिये ??? क्यूँ भाई??? जब वोट मांगने आये थे तो उसी पार्टी की बुराई कर रहे थे , कह रहे थे मुझे जीतादो मैं सब ठीक कर दूंगा ? अब पूरी की पूरी पार्टी ही उस पार्टी से मिला लिए ?? हाँ देश हित ???गुस्सा छोड़ चलो कुछ काम की बाते करते है ...
हमारे देश में चल रही ये गठबंधन की राजनीति या कहे के केकड़े की दोड़ , इसमें जीत किसकी होगी ये किसी को नहीं मालुम लेकिन हार तो हमारी ही होगी ? कुछ किया तो मुसीबत , ना किया तो मुसीबत , हाथ पैर जोड़ते रहो , ५ साल चलने दो , फिर चाहे जो कहलो ???
जब तक देश में एक पार्टी की सरकार ना हो ,और उसे देश हित का धयान हो , तब ही देश का विकास हो सकता है ? नहीं तो हर कोई आयेगा हमे नोचेगा हमे खाएगा बचाकुचा भी लेके जायेगा ,हम यू उल्लू की तरह देखते रह जायेंगे ???
लेकिन इन सब का ज़िम्मेदार कौन है ...हम ??? नहीं तो हमने क्या किया ? देखा के कम चोर कौन है उसे बैठा दिया , अब चोर और चोर तो मौसेरे भाई है ना ???देश में गठबंधन या अस्थिरता देश को कमज़ोर कर रही है , इसका कोई हल निकलना बेहद ज़रूरी है नहीं तो देश हित के नाम पर नेता बिकते रहेंगे , गठबंधन होता रहेगा ,टूटता रहेगा , और हम अपने देश को यूही लुटते हुए दखते रहेंगे ???

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